मोदी की रैली के लिए नड्डा के ऐक्टिव मोड के क्या हैं मायने?

  • राजेश ठाकुर

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की पहली हिमाचल रैली आजकल पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है। कांगड़ा से किन्नौर तक पूरे प्रदेश को बीजेपी काडर ने पोस्टरों से भगवामय कर दिया है। ध्यान देने वाली बात यह है कि अर्से बाद बीजेपी व्यक्तिवाद से उठकर संगठनवाद की तरफ जाती दिख रही है। जो भी मोर्चे सेल नाममात्र को बने होते थे इस बार पूर्ण ऊर्जा के साथ रैल्ली में अपनी अपनी भूमिका और जिमेदारियों के निर्वहन के लिए जी-जान से लगे हुए हैं। महिला मोर्चे ने तो 25 हजार महिलाएं मंडी के पड्डल मैदान में एकत्रित करने का संकल्प ले लिया है, जो हिमाचल जैसी छोटी स्टेट में बहुत बड़ा आंकड़ा है। इसी तरह युवा मोर्चा से लेकर अनुसचित जाती जनजाति मोर्चा और ज़िला स्तर के संगठनों के लोग अपने अपने स्तर पर लगे हैं।

रैली के इस गरमाहट भरे माहौल में बारीकी से देखने वाली बात है- प्रदेश राजनीति में जेपी नड्डा की बढ़ती सक्रियता। मोदी की रैली की तैयारियों के लिए नड्डा जितने दिन हिमाचल में गुजार रहे हैं, यह संकेत कुछ अलग ही बयां कर रहे हैं। अभी तक हिमाचल प्रदेश में जितनी भी रैलियां होती थीं, भीड़ जुटाने से लेकर कार्यक्रम तय करने, जिमेदारिया सौंपने और तैयारियां देखने यह सब कार्य पूर्व मुख्यमंत्री धूमल के नेतृत्व में उनके ख़ास सिपहसलार ही करते थे। परन्तु इस बार धूमल सक्रिय भूमिका में कहीं नहीं दिख रहे हैं। संगठन फ्रंट फुट पर रखते हुए यह जिम्मेदारी इस बार जेपी नड्डा ने ले ली है।
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जेपी नड्डा इस रैल्ली को लेकर इतना समय और जिमेदारी अपने ऊपर क्यों लिए हुए हैं, यह राजनीतिक पंडितों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। केंद्रीय मंत्री बनने से पहले केंद्रीय संगठन में रहने के दौरान भी भी जेपी नड्डा अधिकांश रैलियों में सिर्फ रैली वाले दिन ही प्रदेश का रुख किया करते थे। परंतु इस बार बाकायदा 5 दिन उन्होंने इस कार्य के लिए अपने शेड्यूल से निकाल रखे हैं। वाया कांगड़ा से होकर बिलासपुर की तरफ जेपी नड्डा का आना भी कहीं न कहीं कुछ अलग संकेत दे रहा है। गग्गल एयरपोर्ट पर राकेश पठानिया अपनी फ़ौज लेकर उनके इस्तकबाल के लिए पहुंचे। शांता कुमार और नड्डा के साथ एक ही गाड़ी में एयरपोर्ट से धर्मशाला के लिए रवाना हुए पठानिया ने अपने विरोधियों को यह पैगाम दे दिया कि नूरपुर का नूर पार्टी उनके हाथ में ही देने वाली है।

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सबसे बड़ी बात यहां जो ध्यान देने योग्य है कि प्रदेश बीजेपी के पितामह शांता कुमार जो अक्सर पार्टी संगठन के प्रोग्रामों को किसी न किसी बहाने किनारा करते रहते हैं, व्यक्तिगत रूप से नड्डा के स्वागत के लिए खुद एयरपोर्ट पहुंचे। शांता कुमार जैसी शख्शियत का एयरपोर्ट तक आना बताता है की पुरानी पीढ़ी नई पीढ़ी के इस्तकबाल के लिए तैयार है। उसके अलावा पूरे बीजेपी कुनबे ने दरबार में हाजिरी लगाई। कांगड़ा में शांता कुमार के घर पालमपुर से सबसे अधिक 5000 कार्यकर्ता मंडी ले जाने का अजेंडा भी इसी मीटिंग में तय हुआ। ऐसे ही मंडी में सर्वधिक 6000 कार्यकर्ता पहुँचाने की जिम्मेदारी प्रदेश में नड्डा के हनुमान कहलाने वाले जयराम ठाकुर ने ली है।

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प्रधानमंत्री मोदी के हिमाचल रैली के साथ जेपी नड्डा का यह जिम्मेदारीपूर्ण लगाव कहीं न कहीं इन समीकरणों और संभावनाओं को ही हवा दे रहा है कि आलाकमान की तरफ से भी उन्हें हिमाचल प्रदेश की और देखने और चलने का इशारा मिल गया है।

(लेखक हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के रहने वाले हैं और प्रदेश की राजनीति पर पैनी नजर रखते है।)

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