धूमल-शांता गुटों में मारामार, नड्डा के लिए रास्ता तैयार !

सुरेश चंबियाल 


यूँ तो शांता कुमार को लेटर बम फोड़े बहुत दिन हो गए हैं परन्तु हिमाचल प्रदेश की राजनीति में असल धमाके होना अब शुरू हुए हैं।  शांता विरोधी  गुट के नेता पहले तो चुप रहे परन्तु अब धीरे धीरे तीरों का रुख शांता की तरफ मोड़ दिया है।  हालाँकि शांता कुमार के पत्र विवाद के बाद केंद्रीय  बीजेपी   संग़ठन ने राजीव प्रताप रूडी के माध्यम से अपना वक्तत्व जारी किया एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रीं शिवराज सिंह चौहान ने  शांता कुमार को जो पत्र लिखा उसे बीजेपी ने अपनी वेबसाइट पर डाल कर इस विवाद से किनारा कर लिया। गौरतलब है की मामला और सुर्ख़ियों में न आये और मीडिया को मसाला न मिले इस चक्र में बीजेपी के बड़े नेता इस पत्र के सवालों से बचते रहे। 
परन्तु हिमाचल प्रदेश में हालत अलग है।  यहाँ मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह  के ऊपर लगे आरोपों पर शांता कुमार की चुप्पी को निशाना बनाकर धूमल गुट ने अभियान छेड़ दिया है।  पहले अनुराग ठाकुर ने शांता कुमार को नसीहत देते हुए ऊना में तंज़ कसा वहीँ धूमल  के ख़ास सिपहलसार कभी शांता के कट्टर समर्थक रहे देहरा के विधायक रविंदर सिंह रवि ने इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा की शांता कुमार को वीरभद्र सिंह का भरस्टाचार नजर नहीं आता जबकि उन्हें अपनी पार्टी की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।  रवि यहीं नहीं रुके उन्होंने शांता कुमार  को दो टूक यह भी कह दिया की  किस आधार पर वो पंजाब में जीत का श्रेय ले रहे हैं , वहीं तो पार्टी जी सीटें कम हुयी थीं  ? गौरतलब है  केंद्रीय मंत्रीं  जगत  प्रकाश नड्डा  उस समय पंजाब में  सहप्रभारी थे।  रवि ने हिमाचल में भाजपा की हार के लिए भी शांता कुमार को ही जिम्मेवार ठहराया।  रविंदर रवि की इन टिपण्णियों का शांता कुमार क्या जबाब देते हैं यह तो आने वाला वक़्त बताएगा परन्तु यह बात तो अब तय हो गयी है अगले चुनाव में फिर  बीजेपी में आपस में ही तलवारे खींचने वाली हैं। 
लोग तो इसे शांता- धूमल गुटों की चिर खींचतान मान  रहे हैं परन्तु राजनैतिक पंडित इसमें अलग ही समीकरण देख रहे हैं।  राजनैतिक पंडितों का मानना है इस खींचतान से सब से अधिक फायदा केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा को हो रहा है।  प्रदेश में आने को आतुर नड्डा इस सारे मामले को बस बाहर से देख रहे हैं।  उनके ख़ास सिफालसार और प्रदेश मीडिआ  प्रभारी श्रीकांत शर्मा भी चुप्पी साधे हुए हैं और पार्टी को अनुशाशन का घोल नहीं पीला रहे हैं।

माना जा रहा है की धूमल- शांता गुटों में सदियों से  उलझती प्रदेश भाजपा को बाहर  निकालने और इस गुट बाज़ी को हमेशा के लिए खतम करने के लिए  प्रधानमंत्री मोदी एवं पार्टी अध्य्क्ष  अमित शाह नड्डा के हाथ में हिमाचल प्रदेश  की कमान सौंप सकते हैं।  जिस तरह से शांता कुमार अनुराग ठाकुर को दरकिनार करते हुए मोदी ने नड्डा की  केंद्रीय मंत्रिमंडल में एंट्री  और बीजेपी की टॉप संस्थाओं केंद्रीय चुनाव सीमिति एवं पार्लियामेंट्री बोर्ड में नड्डा को लिया है उस से यह साफ़ हो गया है की नड्डा को जल्द ही यह इशारा भी कर दिया जाएगा की हिमाचल प्रदेश का रुख करें।  अंदरखाते पार्टी कार्यकर्ता  भी दुखी हैं बड़े नेताओं की इस तरह की आपसी रार में उनका भी नुक्सान हो रहा है।  शिमला से भाजपा के एक दिग्गज नेता ने बातों बातों में कह भी दिया की अब पार्टी को आगे का सोचना चाहिए और नया बाँदा आना चाहिए।  खैर बीजेपी क्या करती है यह उसका मुद्दा है परन्तु  इसमें कोई दो राय  नहीं की सड़क तक पहुँच गयी भाजपा -गुटों की इस आपसी  रार में नड्डा के आने के आसार सब से प्रबल हैं और भविष्ये में यह मारामारी और बढ़ती है तो नड्डा को ही फायदा होने वाला है अगर वो मुख्यमंत्री बनाना चाहते हों तो हालाँकि इसी रार का नतीजा भाजपा पहले भी भुगत चुकी है और सत्ता से बआहार हुयी है।  
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