यहां सबके अंदर छिपा है एक नीरज भारती, फिर बवाल क्यों?

जीशान अली।। हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग के संसदीय सचिव और ज्वाली के विधायक नीरज भारती की टिप्पणियों को लेकर सोशल और प्रिंट मीडिया में बढ़ती ख़बरों की तरफ मेरा भी ध्यान आकर्षित हुआ। मैंने सोचा कि क्यों न मैं भारती की फेसबुक टाइमलाइन पर जाकर खुद देखूं कि वह ऐसा क्या लिखते हैं कि बवाल मच जाता है। मैंने करीब एक घंटा लगाकर भारती की फेसबुक वॉल का मुआयना किया।

भारती के कटाक्ष संघ, भाजपा, बाबा रामदेव और प्रधानमंत्री मोदी से लेकर हिन्दूवादी संगठनों पर थे। भारती बेबाकी से वही सब लिखते हैं, जो सोशल मीडिया और वॉट्सऐप के संदेशों पर हम दिन-रात सुनते-पढ़ते आ रहे हैं। भारती संघ परिवार के धुर विरोधी हैं, ऐसा उनकी वॉल देखकर लगता है। जब कांग्रेसी हैं तो उनका ऐसा होना लाजिमी है।

भारती की हिम्मत देखकर मैं हैरान हुआ। राजनीति में बेबाकी चलती है, पर अपने आप को इस कदर प्रस्तुत कर देना कहां की समझदारी है भाई? आखिर भारती से इतनी चिढ़ क्यों पैदा हो रही है लोगों को? भारती भी तो उसी भीड़ की तरह रिऐक्ट कर रहे हैं, जो सोसल मीडिया पर दिन-रात एक-दूसरे के खिलाफ कीचड़ फेंकने में लगी रहती है। क्या भारती उन लोगों से सिर्फ इसलिए अलग हैं कि वह एक विधायक हैं और इस नाते वह ऐसा नहीं लिख सकते? दरअसल दिक्कत और चिढ़ यह है कि समाज में हर तीसरा आदमी नीरज भारती है, मगर वह मौका और मंच देखकर अपना चेहरा बदल देता है। मगर भारती ऐसा नहीं कर रहे।

संघवाद के एजेंडे को राष्ट्रवाद का नारा मान चुके कुछ युवा सुबह से लेकर शाम तक फेसबुक पर अर्जी-फर्जी आर्टिकलों और फोटोशॉप्ट तस्वीरों को फैलाने में लगे रहते हैं। नेहरू गाजी का बेटा था, इंदिरा का पति वो था, राजीव फलाणे का बेटा था, सोनिया ऐसा करती थी, वैसा करती थी… वगैरह। क्या इस तरह की मानसकिता वाले लोग भी भारती नहीं हैं? यही लोग अपनी पार्टी की विचारधारा वाले संगठनों में काम करते हुए कल को किसी संवैधानिक पद पर भी पहुंचेंगे। तब वे एकदम से अपनी जुबान और चेहरा बदल लेंगे।

ऐसी फर्जी तस्वीरें वही बना सकता है, जिसके पास किसी चीज का विरोध करने के लिए तर्क और तथ्य न हों। ये लोग जिस पार्टी के समर्थक हैं, वह पार्टी महात्मा गंधी के अंत्योदय के नारे को आगे ले जाने का संकल्प लेती है और हर मंच से कहती है कि हम उनके सपनों को साकार करेंगे। मगर उसी गांधी को उस पार्टी का काडर सोशल मीडिया पर दिन-रात बेआबरू करने में जुटा होता है।

दाएं वाली तस्वीर असली है, जिसमें गांधी जी पंडित नेहरू के साथ हैं। कुछ लोगों ने फोटोशॉप की मदद से इसमें लड़की की तस्वीर लगाकर बापू को बदनाम करने की कोशिश की है।

जब सभी भारती जैसे हैं और अपनी-अपनी विचारधाराओं के लिए किसी भी स्तर पर उतरकर सभ्य समाज के ढांचे को चकनाचूर करने में लगे हैं, तो बवाल सिर्फ नीरज भारती को लेकर क्यों है? भारती की हिम्मत है कि उसने अपने आप को, अपनी मानसिकता को, अपने विचारों को सरेआम जनता के सामने प्रस्तुत कर दिया है। अब जो प्रत्यक्ष है, उसका हिसाब-किताब तो जनता देख रही है। मगर जो अंडर-कवर ऑपरेशन के तहत देश के महानायकों को अनर्गल बातें करके बदनाम करने में तुले हुए हैं, उनका क्या?

नीरज भारती

बहरहाल, मैं भारती की टाइमलाइन का अध्ययन करते हुए आगे बढ़ा। भारती एक तरफ अपनी वॉल पर दबंग नेता और बेबाक वक्ता की छवि को परिभाषित करते हुए निकलते हैं। वह यह जताना चाहते हैं कि मैं नेता नहीं, नॉर्मल आदमी हूं और राजनीति नहीं करता। पर उनकी दो पोस्ट्स मुझे ऐसी दिखीं कि उनके अंदर का घाघ नेता और दोहरे मापदंड मेरी पकड़ में आ गए।

एक पोस्ट में भारती लिखते हैं कि देश में ऐसे भी लोग हैं, जो बैडमिन्सटन स्टार पीवी सिंधु की कास्ट गूगल पर पता कर रहे हैं। इसके लिए वह बाकायादा गूगल का स्क्रीनशॉट शेयर करते हैं और इस तरह की जातिवादी मानसिकता पर दुख और गुस्सा प्रकट करते हैं। मगर जैसे ही मैं आगे स्क्रॉल करते हुए उनकी दो दिन आगे की पोस्ट पर पहुंचता हूं, तो भारती किसी मुद्दे पर जय ओबीसी, जय ओबीसी के नारे लगाते हुए मुझे मिलते हैं। जिस बेबाक युवा भारती को अपनी इमेज को लेकर यह चिंता नहीं कि लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं, उसे मैं यहां ट्रैक से उतरता देखता हूं। मुझे यहां भारती के दोहरे मापदंड नजर आते हैं। भारती जय ओबीसी, जय हिमाचल, जय हिंद और जय राजा वीरभद्र लिखते हैं। इसमें मुझे जय ओबीसी खटकता है। यह स्टेटस डालने वाला भारती मुझे वीपी सिंधु को लेकर पोस्ट करने वाले भारती से अलग जान पड़ता है। यहां मुझे चुनावी राजनीति की सांठ-गांठ वाला तिकड़मी भारती मुझे नजर आता है। यहं भारती मुझे दुविधा में डाल देते हैं।

राजनिति हो, व्यक्तिगत जिंदगी या फिर कोई और स्पेस, गाली देना गलत है। किसी को कटु वचन कहना, किसी की व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में, किसी के चरित्र के बारे में सवाल उठाना या कहानियां फैलाना गलत है। यह शास्त्र कहता है, धर्म कहता है और सेन्स भी कहती है। यह सबके लिए गलत है और यह गलत सिलेक्टिव नहीं है। हर मानव के लिए गलत है। राजा के लिए भी, रंक के लिए भी। नेता के लिए भी, कार्यकर्ता के लिए भी। अब भारती मोदी और ईरानी पर उंगली उठाएं या कोई आम भाजपा कार्यकर्ता सोनिया के बारे में गलत प्रचार करे, ये दोनों समान रूप से गलत बातें हैं। इसकी परिभाषा इस तरह से नहीं हो सकती कि भारती विधायक है तो उसके लिए गलत है और बाकी कोई कुछ भी लिख सकता है।

सबके अंदर एक भारती है। कोई छुपकर भारती है, कोई सरेआम भारती है। देखो भैया, हम ठहरे आम आदमी। राजनीति धूमल को करनी है, वीरभद्र, अनुराग, विक्रमादित्य, बाली, भारती, सुक्खू आदि को ही करनी है। इन्हीं की पार्टिया बारी-बारी चुनाव जीतेंगी। इनपर ही प्रदेश का दारोमदार टिका है। हम आम जनता, तो उस चातक की तरह है, जो सावन के बादलों की बूंद के लिए आसमान की तरफ देखता रहता है। उसी तरह सरकारें, मंत्री-संत्री बदलने पर हम नई उम्मीद पाले रखते हैं। हमें उम्मीद होती है प्रदेश के भले की, नई नौकरी की, नई दिशा की, नई दशा की। तुम्हीं इस व्यवस्था के माई हो, तुम्हीं बाप हो, तुम्हीं लोग बंधू हो और तुम्हीं सखा भी।

जब अलग-अलग समय पर सबकुछ तुम्हीं लोगों पर टिका है तो प्रदेश का भला ही कर दो। यह ऊर्जा, यह तर्कक्षमता, यह बेबाकियां दोनों पक्ष प्रादेशिक मुद्दे पर फोकस कर दो। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मामलों पर आप क्या सोचते हैं, फेसबुक पर कभी यही डाल दिया करो। यही डाल दो कि आपका क्या विजन है अपने इलाके अपने प्रदेश के लिए।

भारती जी भी थोड़ा ऐसा ज्ञान बीच-बीच में डालें तो हम चातक लोग धन्य हो जाएंगे। आपका जो भी अपनी पार्टी या विचारधारा को लेकर श्रद्धा है या विरोधी को लेकर जो बैर है, उसे अपने तक सीमित रखो। या फिर किसी सार्वजनिक मंच पर एक हफ्ते की बहस आयोजित कर लो और एक ही बार सारे मुद्दे सुल्टा लो। फिर प्रदेश के मुद्दों पर फोकस हो जाओ।

नेहरू का या गांधी का इतिहास छोड़ दो, बाबा रामदेव का कानापन या मोदी के जुमले भूल जाओ; प्रदेश के लिए चुने गए हो तो थोड़ा समय यहां के लिए भी निकाल दो।

(लेखक नाहन के रहने वाले हैं। 15 वर्षों तक विभिन्न मल्टीनैशनल कंपनियों में सेवाएं देने के बाद इन दिनों पैतृक गांव में बागवानी में जुटे हैं।)

Disclaimer: ये लेखक के अपने विचार हैं और इनके लिए वह स्वयं उत्तरदायी हैं।

इस लेख को फिर से शेयर किया जा रहा है, मूलत: यह Sep 1, 2016 को प्रकाशित हुआ था।

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