SDM लेने के चक्कर में बहुत कुछ खोने की तरफ बढ़ते लोग

राजेश वर्मा।।  दुर्भाग्यपूर्ण क्या बेहद निंदनीय है की सराज के एक हिस्से में वहां कुछेक लोगों द्वारा मात्र एसडीएम कार्यालय के लिए गैर जिम्मेदाराना तरीके से उस इतिहास को बदनाम करने की कोशिश की है जिसे रचे अभी चंद दिन भी नहीं हुए। जिस काम के लिए प्रदेश का मुखिया प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से दोषी नहीं उसे उसके लिए गुनहगार माना जा रहा है। सच कहूं तो लगता है हम लोग एसडीएम कार्यालय चाहते ही नहीं। हम तो चंद असमाजिक तत्वों के बहकावे में आकर यह सब धरना प्रदर्शन व शव यात्रा नहीं बल्कि अपनी ही सोच की “बेशर्म यात्रा” निकाल रहे हैं।

 

इस घटना के पीछे मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को भी दोषी मानता हूं उनके दोष यह हैं…

1.पहला दोष यह है कि वह एक साधारण परिवार से संबंध रखने वाले साधारण से प्रदेश वासी हैं क्या साधारण होना गुनाह है?

2.दूसरा दोष वह एक इमानदार स्वच्छ छवि वाली शख्सियत हैं। क्या राजनीति में इमानदार स्वच्छ होना गुनाह है?

3.तीसरा दोष यह की उनमें अपने लोगों का दुख दर्द समझने का दिल है? क्या किसी मुख्यमंत्री के ह्रदय में अपने लोगों के प्रति प्रेम भाव होना गुनाह है?

4.चौथा दोष यह की वह मंडी से हैं तभी तो हर कोई बिना बुद्धि का प्रयोग किए बस हर छोटी बड़ी बात पर मंडी को कोसने लग जाता है।

5.पांचवा और सबसे बड़ा दोष है की वह खुद सराज से हैं तभी वहां के लोगों में ऐसा भद्दा प्रदर्शन करने की हिम्मत हुई क्योंकि यदि मुख्यमंत्री कहीं और से होता तो आपको शायद यह सब करने की छूट नहीं मिलती। उनके अपनेपन को ही इन लोगों ने कमजोरी समझ लिया।

6.छठा यह की वह राजनीति करने की बजाए, राजनीति का शिकार ज्यादा हो रहे हैं। इसमें भी लगता है बेगानों की बजाए अपनों के ज्यादा शिकार बन रहे हैं अपनों में भी वह “अपने” जो अंग-संग दिखते हैं या ज्यादा हितैषी लगते हैं क्योंकि इन अपनों की अब तक की चुप्पी यही साबित करती है।

अरे यदि इस मुख्यमंत्री में एक आम पहाड़ी का दिल नहीं होता तो आप किसी की हिम्मत नहीं हो सकती थी कुछ भी धरना प्रदर्शन करने की, शायद उनकी शरीफियत व इंसानियत को इन लोगों ने कमजोरी समझ लिया लेकिन कमजोर तो यह खुद थे जिस बात को मिल बैठकर समझाया जा सकता था उसे पूरे देश प्रदेश में पहुंचा कर अपनी बुद्धिमत्ता का ऐसा परिचय दिया की हर कोई सोचने पर मजबूर हो गया की क्या यह वही शांत वादियां है जिसके चर्चे विदेशों में भी होते हैं।

राजनीति यहां भी कहां रूकी घटना एक क्षेत्र में घटित हुई और कुछेक ज्ञानी विज्ञानी पूरी मंडी को कोसने लग गए। उदाहरण देते हैं सुजानपुर की जनता ने गलत किया अब मंडी वाले गलत कर रहे हैं। आप पूरे हमीरपुर को कटघरे में क्यों नहीं खड़ा करते? मतलब जैसा दिल करे वैसे क्षेत्रवाद को हवा दो। आखिर किस लिए? सिर्फ राजनीति के लिए ही मंडी को बदनाम कर रहे हो? खैर कसूर आपका नहीं जब अपने ही लोग समझ न पाएं।

बात करें एसडीएम कार्यालय की तो यह ठीक है हम आप सब चाहते हैं एसडीएम कार्यालय ही क्या? हमारे अपने-अपने क्षेत्र में और भी संस्थान खुलें परंतु क्या इस तरह से विरोध करके खुलें? कदापि नहीं इसे पाने के और भी तरीके हैं शांतिमय तरीके से बातचीत करके फिर भी बात न बनें तो शांतिमय तरीके से मौन जलूस या प्रदर्शन करके क्या कुछ नहीं हासिल हो सकता? या फिर कानूनी प्रक्रिया का सहारा लेकर आदि आदि।

अरे मुख्यमंत्री आपके अपने घर गांव से है एक एसडीएम कार्यालय क्या आप तो जो चाहो ले सकते हो लेकिन शायद आप लेने की तरफ नहीं खोने की तरफ बढ़ रहे हैं।
वह लोग भी सोच बदले जो यह कहते हैं की मुख्यमंत्री मंडी से है। मुख्यमंत्री प्रदेश के हैं हम सबके हैं सीमाओं में बांध कर खुद को न बांधिए।

(स्वतंत्र लेखक और शिक्षक राजेश वर्मा बलद्वाड़ा, मंडी के रहने वाले हैं और उनसे 7018329898 पर संपर्क किया जा सकता है।)

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