सरकार ने बंद की मंत्री किशन कपूर के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच

शिमला।। कांगड़ा जिले में एक बीडीओ को खुलेआम डांटने फिर उस बीडीओ के सस्पेंड होने के बाद चर्चा में आए खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री किशन कपूर के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोप के मामले की जांच हिमाचल सरकार ने बंद कर दी है। राज्य का विजिलेंस ब्यूरो इसकी जांच कर रहा था। खबर है कि पर्याप्त सबूत न मिलने के कारण मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगाई गई है।

क्या था मामला
यह मामला तब का है जब प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री थे औऱ उस समय किशन कपूर हिमुडा के चेयरमैन थे। उनके ऊपर प्लॉटों का आवंटन करने में गड़बड़ करने का आरोप लगा था। आरोप यह भी था कि उन्होंने पत्नी के नाम ही प्लॉट आवंटित कर दिया जो पद के दुरुपयोग का मामला बन रहा था।

2013 में शुरू हुई थी जांच
इस मामले में साल 2013 में विजिलेंस ब्यूरो ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया था। आरोप था कि उन्होंने विवेकाधिकार कोटे का दुरुपयोग किया और इससे पत्नी और चहेतों को ही प्लॉट बांट दिए।

इस संबंध में अमर उजाला ने विभागीय सूत्रों के हवाले से लिखा है, “जांच में यह बात तो सामने आई थी कि कपूर ने पत्नी के नाम पर एक बड़ा प्लाट आवंटित कर दिया। लेकिन विवाद होने के बाद कपूर ने इसे सरकार को सरेंडर कर दिया था। ऐसे में उनके खिलाफ मामला नहीं बनता। इस बात को आधार बनाते हुए ब्यूरो ने जांच बंद कर दी है।”

लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि विवाद होने पर प्लॉट को अगर सरकार को वापस दे दिया जाए तो इसका मतलब यह तो नहीं कि पहले गलत काम नहीं हुआ। उदाहरण के लिए कोई किसी से रिश्वत ले और बाद में पकड़े जाने पर यह कहे कि रिश्वत के पैसे वापस ले लो और मुझे छोड़ दे तो क्या ऐसा संभव है।

हालांकि इस मामले में चूंकि जांच 2013 में शुरू हुई थी और पांच साल में विजिलेंस कुछ नहीं कर पाई। और अब प्रदेश में जो नई सरकार बनी है उसमें किशन कपूर मंत्री हैं तो यह जांच पूरी हो गई और विजिलेंस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी।

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