…जब 24 साल बाद लौटा जनता का चहेता अफसर

मंडी।। आज के दौर में जहां सरकारी अधिकारियों पर काम में कोताही बरतने और खानापूर्ति करने के आरोप लगते हैं, वहीं कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जो मिसाल कायम कर रहे हैं। इन्हीं अधिकारियों में शामिल हैं मंडी के डीसी संदीप कदम और प्रदेश के अडिशनल चीफ सेक्रेटरी तरुण श्रीधर। बुधवार को कोटरोपी के लोग एक बड़े प्रशासनिक अधिकारी को अपने बीच पाकर थोड़े से हैरान थे। यहां के लोगों के लिए भले ही तरुण श्रीधर का चेहरा जाना-पहचाना न हो, मगर उनका नाम बहुत से लोगों की जुबान पर है।

 

मंडी जिले के कोटरोपी में हुए भूस्खलन की जांच के लिए जियोलॉजी विभाग की टीम ने दौरा किया। टीम का काम यह देखना है कि आखिर कैसे यहां भूस्खलन हो गया। इस टीम के साथ हिमाचल सरकार के अडिशनल चीफ सेक्रेटरी तरुण श्रीधर भी थे। तरुण श्रीधर का मौके पर आना बहुत से लोगों को हैरान कर गया कि आखिर क्यों प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अधिकारियों में एक खुद यहां आया। वह भी उस दौर में, जब आज के दौर में वरिष्ठ अधिकारी अपने जूनियर अधिकारियों को आदेश लगाकर पल्ला झाड़ लेते हैं।

 

मगर इलाके के बुजुर्गों के लिए यह हैरानी की बात नहीं थी क्योंकि वे 24 साल बाद उस अधिकारी को अपने सामने देख रहे थे, जिसने डीसी रहते हुए इसी विधानसभा क्षेत्र में आई एक और आपदा के वक्त लोगों की मदद करने में दिन-रात मेहनत की थी।

Tarun Shridhar
मंडी के डीसी रहे तरुण श्रीधर को आज भी याद करते हैं लोग। वह जिले के सबसे लोकप्रिय अधिकारियों में से एक रहे हैं।

साल 1993 में द्रंग विधानसभा क्षेत्र में ही पड़ने वाली चौहार घाटी के स्वाड़ में बादल फटा था। आज हिमाचल के अडिशनल चीफ सेक्रेटरी तरुण श्रीधर उस वक्त मडी जिले के डीसी थे। स्वाड़ गांव में बादल फटने से 16 लोगों की जान गई थी। उस दौर में तरुण पद्धर तक गाड़ी में आए थे और उसके बाद चौहार घाटी के स्वाड़ गांव पहुंचकर पूरे दो दिनों तक सैनिकों की तरह राहत एवं बचाव कार्य किया था।

 

जब स्वाड़ खड्ड में आए हुए पानी को इधर-उधर डायवर्ट करने में स्थानीय लोगों को मुश्किल हो रही थी, तत्कालीन डीसी मंडी तरुण श्रीधर ने मददगारों के साथ मिलकर 50 से 70 फुट लंबे पेड़ों को अपने कंधों पर उठाया था। वह पीड़ितों को हिम्मत देते रहे और उन्हें आगे बढ़ने के लिए दिलासा देते रहे। आद भी चौहार घाटी के लोग मंडी के डीसी रहे श्रीधर को याद करते हैं।

Chauhar Valley
चौहार घाटी

आज 24 साल बाद तरुण श्रीधर बड़े अधिकारी बन चुके हैं मगर उनका जज्बा और काम के प्रति निष्ठा कम नहीं हुई है। मौके पर खड़े बुजुर्ग लोगों और जानकारों के लिए उनका आना डेज़ा वू जैसा था। मानो वक्त बीता ही न हो, युवा आईएएस अधिकारी उनके दुख-दर्द को समझने की कोशिश कर रहा हो।

 

पिछले दिनों तरुण श्रीधर तब चर्चा में आए थे तब मंडी के मौजूदा डीसी संदीप कदम ने 20 किलोमीटर पैदल यात्रा की और जनता की समस्याएं सुनी और विभिन्न विभागों के कार्यों का मुआयना करके जरूरी निर्देश भी दिए। तब फेसबुक पर विनोद राणा नाम के शख्स ने पुराने दौर को याद करते हुए लिखा था कि इसी तरह लंबी दूरी तय करके दूर-दराज के इलाके में लोगों की समस्याएं सुनने वाले पहले प्रशासनिक अधिकारी तरुण श्रीधर थे(यहां क्लिक करके पढ़ें)।

 

बहरहाल, हिमाचल प्रदेश और भारत को श्रीधर और कदम जैसे योग्य और समर्पित प्रशासनिक अधिकारियों की जरूरत है। मंडी के मौजूदा डीसी संदीप कदम कोटरोपी भूस्खलन की साइट पर मौजूद रहे और राहत एवं बचाव कार्य की निगरानी करते रहे। इसी तरह से उम्मीद है अन्य अधिकारियों को भी उनसे प्रेरणा मिलेगी और हम सभी को भी। ताकि हम सब अपना काम पूरी निष्ठा और समर्पण से करें।

 

बहरहाल, तरुण श्रीधर ने घटनास्थल का मुआयना करने के बाद बताया कि एक टीम आपदा में हुए नुकसान का जायदा ले रही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि ग्रामीणों के नुकसान की भरपाई की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि यहां पर 2 किलोमीटर का हिस्सा थोड़ा संदिग्ध है, इसलिए यहां वाहनों का आवागमन सुरक्षित बनाने के लिए तैयारी हो रही है, जिसमें कुछ वक्त लग सकता है।

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