हिमाचल में स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल, मंडी हॉस्पिटल में 45 में से सिर्फ 14 डॉक्टर तैनात

मंडी।। हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों के मरीजों को देखने वाले मंडी जोनल अस्पताल की हालत खस्ता है। यहां डॉक्टरों के 45 पद मंजूर हैं मगर आपको हैरानी होगी कि यहां सिर्फ 14 डॉक्टर तैनात हैं। ऐसे में मंडी के अलावा कुल्लू और लाहौल स्पीति से आने वाले मरीजों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

दरअसल यह समस्या इसलिए और पेचीदा हो गई है क्योंकि यहां के बहुत से कर्मचारियों को नेरचौक में खोले गए मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट कर दिया गया है। ऐसा इसलिए किया गया ताकि मेडिकल कॉलेज चलाने के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की शर्तों को पूरा किया जा सके। अब हालत यह है कि डॉक्टर न होने के कारण मंडी में बहुत से ओपीडी बंद हैं। अब मंडी हॉस्पिटल को नेरचौक मेडिकल कॉलेज का एसोसिएटेड अस्पताल बना दिया गया है मगर मरीज क्या पहले यह पता करेंगे कि फ्लां बीमारी है तो नेरचौक जाए या मंडी जाए?

सोचिए, यह हाल मुख्यमंत्री के गृह जिले के हैं। बाकी अस्पतालों और अन्य जिलों में हालत क्या होगी, अंदाज़ा लगाया जा सकता है। मंडी हॉस्पिटल में जरूरी उपकरणों तक की कमी है। ऐसा नहीं है कि संसाधनों को नेरचौक मेडिकल कॉलेज शिफ्ट करने से वहां मरीजों को अच्छी सुविधाएं मिल रही है। वहां भी कमोबेश हालात ऐसे ही हैं। यानी दो-दो बड़े संस्थान तो चल रहे हैं मगर दोनों में सुविधाओं का अभाव है।

मंडी रीजनल हॉस्पिटल का तो आलम यह है कि मंडी के चीफ मेडिकल ऑफिसर भी इस स्थिति से परेशान हैं। अंग्रेजी अखबार ‘दि ट्रिब्यून‘ से उन्होंने कहा है कि स्टाफ की कमी के कारण रीजनल हॉस्पिटल में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। हालांकि उनका कहना था कि अस्पला प्रशासन अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा है ताकि लोगों को समस्या न हो।

बहुत से विभागों में डॉक्टर नहीं
नेरचौक मेडिकल कॉलेज के कारण मंडी में न तो स्किन स्पेशलिस्ट है, न ही सायकायट्रिस्ट। यही नहीं, इस इतने बड़े अस्पताल में कोई ईएनटी स्पेशलिस्ट तक नहीं है। सीएमओ का भी कहना है कि बेहतर व्यवस्था तब होगी जब हर विभाग में कम से कम दो विशेषज्ञ हों। यानी सर्जरी, मेडिसिन, ऑर्थो, गाइनी और पीडीऐट्रिक्स में भी दो-दो स्पेशलिस्ट डॉक्टर होने चाहिए।

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