कसौली हत्याकांड: दिवंगत अधिकारी को लेकर सरकार का विरोधाभासी रुख

शिमला।। हिमाचल प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कसौली में जिस महिला अधिकारी को कथित तौर पर होटल मालिक ने गोली मारी थी, उस अधिकारी ने होटल परिसर में दाखिल होने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं दी थी। यानी एक तरह से सरकार यह कहना चाह रही है कि दिवंगत महिला अधिकारी से चूक हुई थी। मगर सरकार के इस बयान पर इसलिए सवाल उठ रहे हैं क्योंकि वह सहायक नगर नियोजन अधिकारी रहीं शैल बाला को हिमाचल गौरव पुरस्कार देने का एलान कर चुकी है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जिस अधिकारी को एक तरफ आप बहादुरी के लिए सम्मानित करने की बात कर रहे हैं, उसी को सुप्रीम कोर्ट में लापरवाह कैसे बता रहे हैं।

सरकार ने कहा कि कसौली की असिस्टेंट टाउन ऐंड प्लैनिंग ऑफिसर शैल बाला शर्मा नायारणी गेस्ट हाउस में जब दाखिल हुई थीं, तब उन्होंने डिमोलिशन टीम के प्रमुख को जानकारी नहीं दी थी। रिपोर्ट में कहा गया है, “अवैध निर्माण ढहाने का काम शांति से चल रहा था मगर लंच ब्रेक के बाद कसौली की असिस्टेंट टाउन प्लैनर शैल भाला शर्मा, जो कि नायब तहसीलदार कसौली जगपाल सिंह की प्रमुखता वाली टीम नंबर वन की कोऑर्डिनेटर थीं, वन विभाग के रेंज ऑफिसर रविंदर पाल सिंह और एक मजदूर के साथ नारायणी गेस्ट हाउस के परिसर में बिना टीम प्रमुख को सूचित किए दाखिल हो गई थीं।”

इससे पहले शुक्रवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने माना था कि अवैध कब्जे ढहाए जाने के अभियान के दौरान पुलिस से कुछ चूक हुई थी। सोलन के एसपी मोहित चावला का तबादला भी कर दिया गया है। इस बीच ऐसी भी खबरें आई थीं कि जब शैल बाला को गोली मारी गई थी, तब उनसे साथ सिक्यॉरिटी नहीं थी। हालांकि पुलिस ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है क्योंकि उसका कहना है कि अभी शिमला के डिविज़नल कमिश्नल मामले की जांच कर रहे हैं।

इस तरह से हिमाचल प्रदेश सरकार पर सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं क्योंकि एक तरफ तो वह दिवंगत अधिकारी शैल बाला को हिमाचल गौरव सम्मान देने की बात कर रही है, जबकि दूसरी तरफ बता रही है कि अधिकािरी अपनी मौत के लि एक तरह से खुद जिम्मेदार है। ऐसे में सरकार के विरोधाभासी रुख पर सवाल उठना शुरू हो गए हैं।

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