निजी वॉल्वो से HRTC को करोड़ों का चूना; अब प्राइवेट ट्रांसपोर्ट पर बादलों का एकाधिकार

इन हिमाचल डेस्क।। दिल्ली का मजनू का टीला इलाका। आईएसबीटी से सिंघू बॉर्डर की तरफ जाते समय आने वाले इस इलाके में कुछ निर्माणधीन फ्लाइओवर हैं, जिन्हें अभी इस्तेमाल नहीं किया जाता। इन फ्लाइओवर्स के नीचे और ऊपर कुछ लग्ज़री बसें खड़ी रहती हैं। शाम के वक्त यहां हलचल बढ़ जाती है।

पहली नजर में यह सामान्य बात लग सकती है। मगर दरअसल इन बसों के जरिये सरकारों को हर साल करोड़ों का चूना लग रहा है। हिमाचल प्रदेश सरकार को भी। दरअसल ये बसें हिमाचल प्रदेश की पॉप्युलर टूरिस्ट डेस्टिनेशंस के लिए भी चलती हैं। अगर आप समझ रहे हैं कि यह टूरिस्ट के लिए और आपके लिए सुविधाजनक है तो इसके पीछे का पूरा खेल समझिए।

इनमें से ज्यादातर बसों ने ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट ली हुई है। इसका मतलब है कि ये बसें भाड़े पर काम करती हैं यानी किसी ग्रुप या कंपनी को अपने लोगों को कहीं पर ले जाना है तो वे इन बसों को बुक कर सकते हैं। उदाहरण के लिए किसी कंपनी को अपने कर्मचारियों को घुमाने ले जाना है या किसी कॉलेज की ट्रिप या धार्मिक यात्रा है।

मगर ये बसें किन्हीं दो स्थानों के बीच में तय समय ऐसे पर चल रही हैं, मानों इन्हें इसका रूट परमिट मिला हो। जबकि ये ऐसा नहीं कर सकतीं और ऐसा करना अवैध है। यानी ये बसें दिल्ली से धर्मशाला या मनाली के लिए किसी ग्रुप को तभी ला सकती हैं, जब वह ग्रुप इन्हें बुक करे। ऐसा नहीं कि ये रोज शाम आठ या नौ बजे चलें और सवारियों से टिकट लें।

टैक्स चोरी कर रही हैं ये बसें
अब इस तरह से ये बसें न सिर्फ कानून तोड़ रही हैं बल्कि एचआरटीसी और अन्य राज्यों के परिवहन निगमों को भी चूना लगा रही हैं, क्योंकि ये सरकारी लग्जरी बसों की तुलना में कम किराया वसूलती हैं। और लोगों को तो वैसे भी कम किराया सुविधाजनक होता है। मगर ये कम किराया इसलिए वसूलती हैं क्योंकि ये टैक्स की चोरी करती हैं। ये जिन-जिन राज्यों से होकर परमानेंट रूट चला रही हैं, उन्हें टैक्स नहीं देतीं। इसीलिए इनका किराया सस्ता होता है।

इसे आप इस तरह समझ सकते हैं कि हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की कोई बस दिल्ली तक जाती है तो उसमें प्रति सवारी टिकट के हिसाब से राज्यों को टैक्स देना होता है। आपने टिकट देखा भी होगा, उसमें लिखा होता है- पंजाब टैक्स, हरियाणा टैक्स, दिल्ली टैक्स। ये आपके टिकट पर लगने वाला वह टैक्स होता है, जो एचआरटीसी को इन राज्यों को देना होता है।

बादल ट्रांसपोर्ट की मनॉपली
अब ऐसी जानकारी सामने आई है कि इस निजी ट्रांसपोर्ट के कारोबार में पंजाब के बादलों का एकाधिकार होने जा रहा है। वही बादल परिवार, जिनकी पंजाब में पिछले साल तक सत्ता थी और पूरे पंजाब के प्राइवेट ट्रांसपोर्ट पर जिनका एकाधिकार है। ‘द ट्रिब्यून’ ने दावा किया है कि हिमाचल में प्राइवेट लग्ज़री ट्रांसपोर्ट कंपनियों का बादल अधिग्रहण कर रहे हैं। इस तरह से प्राइवेट बिजनस पर बादलों का एकाधिकार हो जाने पर एचआरटीसी और झटका लगेगा।

एचआरटीसी के हवाले से अखबार ने लिखा है कि इस समय हिमाचल से 200 निजी बसें दिल्ली तक जा रही हैं लेकिन 70 ही हरियाणा में टैक्स दे रही हैं। ऐसा भी सामने आया है कि छोटे-छोटे ऑपरेटर होने के कारण पहले आपसी प्रतियोगिता के कारण ये अवैध ऑपरेटर किराया कम रखते थे, मगर बादलों का एकाधिकार हो जाने पर किराया बढ़ सकता है क्योंकि उनके मुकाबले और कोई होगा ही नहीं। वे जैसा मर्जी किराया रख सकते हैं।

ये कंपनियां खरीद रहे बादल
अखबार ने लिखा है कि बादलों ने जो कंपनियां खरीद ली हैं या खरीदने जा रहे हैं, वे इस तरह से हैं- लक्षमी होलीडेज़, लीओ ट्रैवल्स, नॉदर्न ट्रैवल्स, अप्सरा ट्रैवल्स और तनिष्क ट्रैवल्स। इन कंपनियों को बादल की कंपनी मेट्रो ईको ग्रीन रिजॉर्ट्स खरीद रही है जिसमें सुखबीर सिंह बादल और उनकी पत्नी और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर शेयरहोल्डर हैं। इसका जिक्र इन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में भी किया था।

बीजेपी सरकार की चुप्पी पर सवाल
अखबार ने लिखा है कि बीजेपी सरकार की बादलों के मनॉपली के इस कथित कदम पर चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं। गौरतलब है कि बादलों की पार्टी शिरोमणि अकाली दल केंद्र में एनडीए में बीजेपी का सहयोगी दल है। हरसिमरत कौर केंद्रीय मंत्री भी हैं। अखबार लिखता है कि इस संबंध में हिमाचल प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर से संपर्क नहीं हो पाया।

प्राइवेट बसों कोई खरीदे, कोई चलाए, ये उनकी मर्जी। लेकिन अगर ये निजी बसें गैरकानूनी ढंग से टैक्स चोरी करके हिमाचल में चल रही हैं और इससे निगम को घाटा हो रहा है और सरकार चुप रहती है तो सवाल उठना लाजिमी है। खासकर नए परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर पर जिम्मेदारी ज्यादा हो जाती है, जो आए दिन मीडिया में एचआरटीसी के कायाकल्प के दावे कर रहे हैं। ऐसे में एक मुहिम चलाकर चेक करना चाहिए कि कौन सी बसें सही हैं और कौन सी गलत ढंग से चल रही हैं।

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