अब मरे हुए बंदर का फोटो दिखाने पर ही मिल जाएंगे 500 रुपये

इन हिमाचल डेस्क।। उत्पाती बंदरों से मुक्ति दिलाने के नाम पर हिमाचल सरकार अब तक बिना भारी-भरकम रकम खर्च चुकी है मगर इस समस्या से मुक्ति नहीं मिल रही। हिमाचल प्रदेश सरकार ने लोगों को बंदर मारकर बदलने में पैसे पाने की स्कीम लाई थी। विभिन्न सरकारें अब तक लाखों रुपये दे चुकी हैं मगर यह प्रक्रिया सवालों के घेरे में रही थी। एक तो लोग बंदरों को मारने को तैयार नहीं होते और कुछ जगह घपले के भी आरोप लगे थे।

हिंदी अखबार पंजाब केसरी की रिपोर्ट कहती है कि हिमाचल सरकार को नियमों में बदलाव करना पड़ा है। अब बंदर मारने वाले को वन विभाग को सूचना नहीं देनी होगी। उसे बंदर को मारकर उसका फोटो खींचना होगा और इसकी सूचना स्थानीय पंचायत प्रधान को देनी होगी। पंचायत प्रधान इसकी सूचना वन विभाग देगा और बंदर मारने वाले को 500 रुपये मिल जाएंगे।

अगर यह रिपोर्ट सही है तो सवाल यह है कि क्या गारंटी है कि लोग इंटरनेट से फोटो निकालकर या फिर कहीं और से एक ही बंदर के विभिन्न जगहों पर फोटो खींचकर यह दावा न करें कि हमने इसे मारा है। क्या गारंटी है कि प्रधान के साथ मिलीभगत करके फर्जी दावा किया जाए। यह भी संभव है कि प्रधान इस रकम को खुद हड़प जाए या हिस्सा मांगने लगे। यह पूरी की पूरी प्रक्रिया करप्श बढ़ाने वाली लग रही है।

अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक प्रधान सचिव वन तरुण कपूर ने इसकी पुष्टि की है। गौरतलब है कि पहले बंदर मारने की सूचना वन विभाग को देनी होती थी और इसके बाद बंदर के शव का मेडिकल परीक्षण किया जाता था। कमजोर, बूढ़े या कम उम्र के बंदरों को मारने पर पैसे नहीं मिलते थे। ऐसे बंदरों को अब भी नहीं मारा जा सकता मगर तस्वीर देखकर कैसे तय किया जा सकता है कि मारा गया बंदर कमजोर, बूढ़ा या कम उम्र का नहीं था?

रिपोर्ट के मुताबिक अब तो बंदर को मारने और उसकी डेडबॉडी को डिस्पोज़ ऑफ करने के बाद पंचायत प्रधान को इसकी सूचना देनी होगी। यानी सबूत देने की भी जरूरत नहीं। कौन जाकर खुदाई करके देखेगा कि बंदर मरा हुआ है या नहीं। कुलमिलाकर इस योजना में झोल नजर आ रहा है। इस बीच सरकार ने शिमला में बंदरों को मारने की अवधि भी बढ़ाकर 24 मई कर दी है। प्रदेश के अन्य अधिसूचित क्षेत्रों में बंदरों को मारने की आखिरी तारीख पहले से यही है।

लोग चूंकि एक्सपर्ट नहीं हैं और उन्हें जीवों को मारने की छूट देना गलत है। कोई हादसा हो सकता है और उनकी गोली किसी इंसान को भी लग सकती है। ऐसे में लोगों को 500-500 रुपये देने के बजाय सरकार को चाहिए कि एक्सपर्ट शूटर्स को हायर करे जो उत्पाती बंदरों का ही शिकार करें। इससे न सिर्फ सरकारी पैसे की बर्बादी रुकेगी, किसी तरह का खतरा भी नहीं होगा। इससे भी बेहतर है कि ढंग से किसी एजेंसी की मदद से बंदरों की नसबंदी की जाए और लॉन्ग टर्म पॉलिसी बनाई जाए। मगर लगता है कि सरकार चाह रही है कि लोग भले ही बंदर मारकर पैसा न लें, बंदर मारने का दावा करके पैसा ले लें। यह जनता के टैक्स के पैसे की बेकद्री तो है ही, साथ ही समस्या भी इससे हल नहीं हो रही।

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