सेब पर कथित स्टिंग पर बवाल, पत्रकार पर भी सवाल

शिमला।। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के छोटे बेटे अरुण ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेस में जिस कथित स्टिंग का हवाला देकर मौजूदा सरकार और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर सेब के पौधों के आवंटन में गड़बड़ी का आरोप लगाया था, वह पूरा का पूरा मामला तूल पकड़ता जा रहा है। जानकारी सामने आई है कि अरुण ने जिस कथित ‘स्टिंग’ का हवाला दिया था, कथित रूप से उसे अंजाम देने वाले पत्रकार पर एफआईआर हो गई है। इसके बाद अरुण जहां इस कार्रवाई को लेकर सवाल उठा रहे हैं, वही हिमाचल सरकार के डेप्युटी एडवोकेट जनरल विनय शर्मा ने इस मामले में शामिल पत्रकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

जानें, क्या है मामला
आरोप लगे हैं कि विदेश से आए हुए सेब के पौधे लोगों को न देकर मुख्यमंत्री के बागीचे में लगा दिए गए और लोगों के नाम की फर्जी एंट्री की गई। इस संबंध में अरुण ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।

अब अरुण ने किया सरकार पर प्रहार
पत्रकार पर एफआईआर दर्ज होने की खबर को लेकर अरुण ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा है, “इससे ज़्यादा रोचक और इससे ज़्यादा शर्मनाक क्या होगा ? सरकार इस बात की जाँच की ग़रीब बागवानों का हक़ किसने मारा ताकि उन अधिकारियों को सज़ा मिले, आज एक FIR शक के बिनाह पर कि फ़लाँ आदमी ने ये स्टिंग मुख्यमंत्री के बाग़ीचे में किया कर दी। मैं माननीय मुख्यमंत्री को चुनौती देता हूँ, मेने पत्रकार वार्ता में आपका पर्दाफ़ाश किया की आपने ग़रीबों का हक़ कितनी बेशर्मी से मारा। अगर दम है तो मेरे ख़िलाफ़ FIR करें। शक के बिनाह पर किसी पर अपनी सरकार की धौंस दिखा कर आपके पाप नहीं धुलेंगे। दम है तो मेरे ख़िलाफ़ करें FIR !!!”


उन्होंने आगे लिखा है, “प्रदेश की पुलिस की भी हद देखिए, Trespassing का पर्चा एक महीने बाद कर रही है। लगता है हिमाचल पुलिस जेल के अंदर ज़्यादा ख़ुश रहती है !!! इस फ़र्ज़ी FIR करने वालों को भी जवाब देना पड़ेगा, ग़रीब का हक़ मारने वालों पर कारवाई करोगे या ग़रीबों को हक़ दिलाने वालों पर। इससे कहते हैं – अंधेर नगरी चौपट राजा सबका खाएगा रामपुर हो या क़ाज़ा.”

 

डेप्युटी एडवोकेट जनरल के सवाल
वहीं कथित रूप से इस स्टिंग को करने को लेकर जिस पत्रकार पर एफआईआऱ हुई है, उसे लेकर विनय शर्मा ने लिखा है, “हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी का डॉक्टर बताकर गेट फांद कर बगीचे में घुसे पत्रकार पर FIR दर्ज। D कंपनी का एजेंट बने इस पत्रकार ने गुड़िया मामले में भी 3 करोड़ की झूठी रिपोर्टिंग की थी जिसकी बजह से लोगों का गुस्सा भड़का ओर ठियोग थाने पर पत्थराव हुआ था। मैंने ओर पंजाब केसरी ने इस पत्रकार के झूठ का पर्दाफाश किया था। कल माननीय मुख्यमंत्री पर झूठे आरोपों की वीडियो और ऑडियो इस पत्रकार से बनबा कर D कंपनी के छोटे सपूत ने प्रेस कांफ्रेंस की थी। तब प्रदेश के प्रबुद्ध पत्रकारों ने इस पत्रकार की हरकत का अफसोस जताते हुए तीखे सवाल झड़े थे।अब साफ हो गया है कि गुड़िया मामले को किन लोगों के इशारे पर इस पत्रकार ने उछाला था।

 विनय आगे लिखते हैं, “पत्रकारिता की आड़ में विपक्ष का एजेंट बने इस पत्रकार ने पत्रकारिता की सारी मर्यादाओं को तोड़ते हुए जिस तरह से एक गांव के भोले भाले माली को धमका कर जो कथित स्टिंग किया उसकी पोल भी खुल गयी और गुड़िया मामले की भी। क्या यह वहां भी कोई फ़र्ज़ी इंस्पेक्टर बनकर तो नहीं गुड़िया मामले की तहकीकात करता रहा? क्योंकि इस पत्रकार की सारी रिपोर्टिंग एक पार्टी को फायदा पहुंचाकर सरकार को बदनाम करने के लिए थी। माँ भीमाकाली ने इंसांफ कर दिया और विपक्ष की घिनोनी साजिश का भी पर्दाफाश हो गया।अब यह बात साफ हो गयी है कि इसका बॉस कोन था और इसका मकसद क्या था। देवभूमि को कलंकित करने वालों से देवता खुद ही निपट लेते हैं।’

मगर अरुण ने एक और ऑडियो पोस्ट किया है और दावा किया है इस बातचीत में शामिल महिला को भी प्लांट नहीं मिले हैं।

कुल मिलाकर मामला पेचीदा होता जा रहा है। हालांकि जनहित में पत्रकार स्टिंग कर सकते हैं मगर उसमें कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। आने वाले कुछ दिनों में यह राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। फिलहाल अरुण धूमल और डीएजी विनय शर्मा के बीच आरोप चल रहे हैं। यह बताया जाना जरूरी है कि दोनों की राइवलरी का पुराना इतिहास रहा है।

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