‘फर्जी’ निकली अखबार की खबर, नहीं मंगवाए गए थे घर से शव

शिमला।। कल यानी 10 अप्रैल को नूरपुर में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के लिए स्कूल बस हादसे के मृतकों के शव रोके जाने की खबर को स्थानीय प्रशासन ने फर्जी और निंदनीय करार दिया है। अखबार ने आज दावा किया था कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के लिए शवों को तीन घंटे तक रोका गया जबकि पोस्टमॉर्टम हो चुके थे। मगर अब जानकारी सामने आई है कि पोस्टमॉर्टम का काम साढ़े 10 बजे खत्म हुआ है।

साढ़े 7 बजे शुरू हुए थे पोस्टमॉर्टम
इस संबंध में ‘इन हिमाचल’ को कुछ दस्तावेज मिले हैं, जो बताते हैं कि शवों के पोस्टमॉर्टम का काम 10 अप्रैल को सुबह साढ़े 7 बजे शुरू हुआ था और वह साढ़े 10 बजे तक चला। जबकि अखबार ने दावा किया था सुबह साढ़े सात बजे तक पोस्टमॉर्टम हो चुका था।

उस खबर का शीर्षक, जिसे गलत बताया जा रहा है।

नहीं मंगवाए गए शव
प्रशासन ने अखबार के उस दावे को भी झूठा बताया है, जिसमें कहा गया था कि रात को सौंपे गए शवों को भी वापस मंगवाया गया। पहले भी खबर को लेकर सवाल उठ रहे थे कि किनके शव मंगवाए गए हैं, उनका अखबार ने जिक्र क्यों नहीं किया है।

इस संबंध में कांगड़ा के उपायुक्त का कहना है , “सीएमओ द्वारा मुताबिक 10 तारीख को सुबह साढ़े सात बजे पोस्टमॉर्टम शुरू हुए थे और यह काम साढ़े 10 बजे तक पूरा कर लिया गया। ऐसा कहना गलत है कि नौ अप्रैल को ही परिजनों को शव सौंप दिए गए थे और फिर दोबारा मंगवाए गए। पोस्टमॉर्टम घटना वाले दिन नहीं किया जा सका था क्योंकि उस दिन हमारी प्राथमिकता थी घायलों का इलाज करना।”

सीनियर मेडिकल ऑफिस की रिपोर्ट।

डीसी कांगड़ा संदीप कुमार के मुताबिक, एसपी कांगड़ा की रिपोर्ट भी पुष्टि करती है कि शवों को सौंपे जाने में किसी तरह की देरी नहीं की गई है।

एसपी कांगड़ा की ओर से डीसी कांगड़ा को भेजी गई रिपोर्ट।

मुख्यमंत्री ने नहीं बांटी राहत राशि
अखबार ने दावा किया था कि स्थानीय विधायक और उनके लोगों ने परिजनों को यह कहकर रोका था कि सीएम राहत राशि देंगे। इस संबंध में उपायुक्त ने कहा है, “स्थानीय प्रशासन ने मृतकों के शवों को संबंधित स्थानों तक ले जाने का इंतजाम करने में भी सावधानी बरती है। साथ ही मुख्यमंत्री या किसी भी अन्य ने सिविल अस्तपाल नूरपुर के परिसर में किसी तरह की राहत राशि नहीं बांटी।”

उपायुक्त कांगड़ा के लेटर का वह हिस्सा, जिसमें खबर को गलत बताया गया है।

उपायुक्त लिखा है, “इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में पूरा प्रशासन बेहद सावधानी, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ आगे आया। दैनिक भास्कर में 11 अप्रैल को छपी रिपोर्ट झूठी, निराधार, गैरजिम्मेदाराना औऱ निंदनीय है।”

बता दें कि ‘इन हिमाचल’ के पास बच्चों के पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट्स भी उपलब्ध हैं मगर उन्हें परिवारों की गोपनीयता और निजता का सम्मान करते हुए प्रकाशित नहीं किया जा रहा है। बहरहाल, सुबह तक अखबार की रिपोर्ट पर पत्रकार सवाल उठा रहे थे और अब शाम तक प्रशासन की तरफ से भी स्पष्टीकरण आ गया है।

सोशल मीडिया पर चर्चा है कि पत्रकारों को इस तरह की संवेदनशील घटना पर सनसनी बनाने के लिए कुछ भी प्रकाशित करने के बजाय उन मुद्दों पर सरकार और प्रशासन को घेरना चाहिए, जिन पर वाकई उनकी जवाबदेही बनती है।

पढ़ें- नूरपुर हादसा: अखबार के दावे पर पत्रकारों ने ही उठाए सवाल

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