जानवरों से भरे हिमालय के घने जंगल में अकेली रहती है यह बुजुर्ग महिला

कुल्लू।। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला, जहां पर है ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क। घना जंगल, जहां पर प्रकृति अपने स्वाभाविक रूप में है। इस जगह पर इंसानी दखल पर रोक है, क्योंकि जंगली जानवरों और वनस्पतियों के लिए समर्पित है यह जगह। रात तो क्या, दिन में भी यहां जंगली जानवरों का साम्राज्य रहता है। मगर इसी बियाबान में रह रही है 80 साल से ज्यादा उम्र की एक महिला।

महिला का नाम है चतरी देवी। साल 1999 में जब इस इलाके को नैशनल पार्क घोषित किया गया था, तब यहां के बाशिदों को हटाकर और जगह बसाया गया। बाकी परिवार को घर खाली करके चले गए, मगर चतरी देवी ने ऐसा नहीं किया। अधिकारियों ने कानून का हवाला दिया, मुआवजे की बात की मगर चतरी देवी जाने को तैयार नहीं हुई। मगर क्यों? इसका जवाब देते हुए वह कहती हैं, ‘मैंने अपनी जिंदगी के अनमोल पल इसी जगह बिताए हैं। मायके से विदा हुई तो पति के साथ यहीं रही, यहीं बच्चे जन्मे, उन्हें पाला-पोला। मेरे पति ने इसी घर में आखिरी सांस ली है। मैं कैसे इस घर को छोड़ दूं, मैं भी यहीं प्राण त्यागूंगी।’

चतरी देवी
चतरी देवी

यह कहते हुए चतरी देवी भावुक हो जाती हैं और उनकी आंखें भर आती हैं। अधिकारियों ने चतरी देवी को पार्क के बाहर जमीन देने की पेशकश भी की थी लेकिन वह तैयार नहीं हुईं। उनका कहना है कि 20 साल पहले पति चंदे राम ने बड़े अरमानों के साथ फिर से यह घर बनाया था। घर के आसपास के खेतों में खेती करते आ रहे हैं हम, अब क्यों जाएं यहां से। गौरतलब है कि चतरी घर के आसपास के खेतों मे कुछ न कुछ बोती हैं और उसकी देख-रेख में वक्त बिताती हैं।

चतरी देवी के तीन बेटे हैं और 9 पोते-पोतियां। ये सभी नैशनल पार्क से बाहर जाकर बस गए हैं। वस वही अकेले यहां रह रही हैं। उम्र और भावनाओं का ख्याल करते हुए चतरी के परिवार से कोई न कोई रात को साथ रहने के लिए यहां आता है और सुबह चला जाता है।

साल 2014 में ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क को यूनेस्को ने धरोहर में शामिल किया हुआ है। 250 स्क्वेयर किलोमीटर में फैले इस पार्क में तेंदुए और रीछ जैसे कई खूंखार जानवर हैं। मगर चतरी कहती हैं कि मुझे उनसे डर नहीं लगता। कई बार ये जानवर घर तक आ जाते हैं घूमते हुए, मगर हमला नहीं करते। चतरी कहती हैं कि न तो मैं उनके रास्ते में आती हूं न वे मेरे रास्ते में आते हैं।

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