118 के कथित दुरुपयोग मामले में बढ़ सकती हैं गुलाब सिंह ठाकुर की मुश्किलें

शिमला।। साल 2010 में 250 से ज्यादा लोगों को धारा 118 के तहत हिमाचल प्रदेश में जमीन खरीदने की इजाजत दी गई थी। आरोप है कि इस इजाजत को देने के बदले उस समय अवैध ढंग से कई आवेदकों से वसूली की गई और फिर उन्हें जमीन खरीदने की इजाजत दी गई। अब इस मामले में मीडिया में उस समय के ताकतवर मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर का नाम सामने आया है। बता दें कि उस समय राज्य में बीजेपी की सरकार थी, मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल थे और उनके समधी व अनुराग ठाकुर के ससुर गुलाब सिंह ठाकुर के पास राजस्व विभाग था।

स्टेट विजिलेंस को साल 2010 में एक शिकायत मिली थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि बाहरी लोगों को धारा-118 के तहत मंजूरी देने के लिए घूसखोरी का खेल चला हुआ है। ऐसे में जांच एजेंसी ने जांच शुरू की और उसके पास कथित तौर पर कुछ लोगों की बातचीत भी रिकॉर्ड है। ऐसा कहा जा रहा है कि यह मामला परवाणु और पंचकूला के करीब आधा दर्जन से अधिक कारोबारियों से संबंधित है।

इस मामले को लेकर राजस्व विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव और इस समय हिमाचल के चुनाव आयुक्त पार्थ सारथी मित्रा से पूछताछ की गई। ऐसी खबरें आई थीं कि पार्थ सारथी मित्रा ने अपने ऊपर लगाए जा रहे से इनकार किया और कहा कि हिमाचल प्रदेश टेनेंसी ऐंड लैंड रिफॉर्म्स रूल्स स्पष्ट करते हैं कि 118 के तहत अनुमति सिर्फ सरकार दे सकती है। खबरों में आशंका जताई जा रही थी कि एक मंत्री का नाम आने पर विजिलेंस के लिए यह जांच गले की फांस बन सकती है क्योंकि उस समय सरकार भारतीय जनता पार्टी की ही थी।

अब इस मामले पर पंजाब केसरी ने रिपोर्ट छापी है जिसमें लिखा है कि 2007 से 2012 तक बीजेपी की सरकार की इस मामले में मुश्किलें बढ़ गई हैं। अखबार ने लिखा है कि ‘धारा-118 की मंजूरी दिलवाने की एवज में कथित तौर पर अवैध वसूली करने के मामले में उस वक्त के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भले ही इस मामले की जद से बाहर हैं परन्तु उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी और रिश्तेदार तत्कालीन राजस्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर इस मामले में उलझते हुए दिख रहे हैं।’

क्या है यह केस
पंजाब केसरी के मुताबिक कसौली में हिमाचल से बाहर के एक व्यवसायी को होटल बनाने के लिए धारा 118 के तहत जमीन खरीदने की मंजूरी देने के लिए कुछ अनाधिकारिक नोट जारी हुए थे जो उस समय के राजस्व मंत्री ने जारी किए थे। अखबार सूत्रों से हवाले से लिखता है, “तत्कालीन मंत्री ने करीब 4 से 5 अनऑफिशल नोट जारी किए थे। ऐसे में जांच एजेंसी अन-ऑफिशल नोट जारी किए जाने की मंशा का भी पता लगाने में जुट गई है।”

‘अनऑफिशल लेटर जारी किए गए’
अखबार सूत्रों के हवाले से लिखता है, “इस विवादित मामले में धारा-118 के तहत अनुमति बतौर राजस्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर द्वारा दी गई है। सूत्रों की मानें तो इस खास केस के लिए तब राजस्व मंत्री रहे गुलाब सिंह ठाकुर ने कई अनऑफिशल लेटर भी जारी किए हैं। ये सब लेटर इस फाइल में लगे हुए हैं।”

“बताया गया है कि कसौली में रिजोर्ट के लिए वर्ष 2005-06 में भी भूमि प्रदान करने के लिए आवेदन किया गया था लेकिन उसे सरकार ने खारिज कर दिया। इसके बाद वर्ष 2009-10 में धूमल सरकार के दौरान फिर से मंजूरी मांगी गई और इस विशेष केस में तत्कालीन राजस्व मंत्री ने गहरी दिलचस्पी दिखाते हुए इसकी फाइल मंगवाने के लिए कई बार अनऑफिशल नोट जारी किए।”

‘धूमल ने गुलाब को दिया था अधिकार’
वैसे तो धारा 118 के तहत जमीन खरीदने के लिए किए जाने वाले आवेदनों को मुख्यमंत्री से मंजूरी मिलती है मगर अखबार का कहना है कि इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने उस समय के राजस्व मंत्री और अपने समधी ठाकुर गुलाब सिंह को अधिकृत किया था।

अखबार लिखता है, “हालांकि धारा-118 के केस राजस्व मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री तक जाते हैं, वही इसकी स्वीकृति देते हैं लेकिन तब धूमल ने एक आदेश पारित कर ऐसी अनुमतियां जारी करने के लिए राजस्व मंत्री को अधिकृत कर रखा था।”

इस मामले को लेकर अभी तक पूर्व राजस्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर का पक्ष सामने नहीं आया पाया है। अखबार के मुताबिक उनसे फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई तो वह उपलब्ध नहीं हो पाए। जैसे ही पूर्व राजस्व एवं लोक निर्माण मंत्री का पक्ष सार्वजनिक होगा, ‘इन हिमाचल’ भी उसे प्रकाशित करेगा।

SHARE