वीरभद्र या विक्रमादित्य में से कोई एक लड़ेगा चुनाव?

इन हिमाचल डेस्क।। क्या विक्रमादित्य नहीं चाहते कि वीरभद्र चुनाव लड़ें? यह प्रश्न सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। हिमाचल यूथ कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने एक एक बयान दिया और ‘एक परिवार-एक टिकट’ की वकालत की। यानी उनका कहना था कि एक परिवार में एक ही व्यक्ति को चुनाव में टिकट मिलना चाहिए। अब वह ऐसी मांग कर रहे हैं तो इसका मतलब यह निकलता है कि वह अपने परिवार में भी एक ही टिकट चाहते हैं। यानी या तो वह खुद चुनाव लड़ेंगे या फिर उनके पिता वीरभद्र चुनाव लड़ेंगे। मगर वीरभद्र सिंह ने अपने बेटे के बयान के ठीक उलट कहा- कांग्रेस में एक ही परिवार को एक ही टिकट दिया जाए, ऐसा कोई नियम नहीं है।

 

शिमला रूरल पर बहुत सक्रिय हैं विक्रमादित्य
अभी वीरभद्र सिंह शिमला ग्रामीण से विधायक हैं मगर इस सीट पर उनके बेटे विक्रमादित्य सक्रिय हैं। वह लगातार यहां पर कई कार्यक्रम कर चुके हैं और इस सीट पर हुए विकास और सरकार की उपलब्धियां गिनाने वाले वीडियो बनाकर लगातार प्रचार कर रहे हैं। शिमला ग्रामीण के लिए बने हर वीडियो में विक्रमादित्य का बड़ा सा पोर्ट्रेट होता है।

 

जब लाखों रुपये खर्च करके इतना प्रचार किया जा रहा है तो इसके यही सियासी मायने निकलते हैं कि वह खुद यहां से उतरने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। फिर अगर वह एक परिवार के लिए एक टिकट की वकालत करने हैं तो इसका मतलब कहीं न कहीं यही निकलता है कि वह चुनाव लड़ेंगे तो उनके पिता चुनाव नहीं लड़ेंगे। क्योंकि ऐसा तो होगा नहीं कि पार्टी पूरे प्रदेश में एक परिवार एक टिकट की नीति अपनाए, मगर मुख्यमंत्री और उनका बेटा दोनों चुनाव लड़ें। वैसे भी पूरे प्रदेश में, बीजेपी हो या कांग्रेस, वीरभद्र और विक्रमादित्य के अलावा कहीं पर भी ऐसे हालात नहीं है कि एक ही पार्टी से दो लोग अलग-अलग सीटों पर टिकट मांग सकते हों।

 

बेटे के बयान को वीरभद्र ने किया खारिज
भले ही विक्रमादित्य परिवार में एक ही व्यक्ति को टिकट दिए जाने के हिमायती हैं, वीरभद्र कहते हैं कि कांग्रेस में ऐसा कोई नियम नहीं है। साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने भी विक्रमादित्य पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने यह बयान अपने पिता से पूछकर दिया था या नहीं।

 

सभी बातों को मिला दिया जाए तो इन बयानों से दो संकेत मिलते दिखते हैं- विक्रमादित्य चाहते हैं कि एक ही व्यक्ति को टिकट मिले- या तो वह चुनाव लड़ें या फिर उनके पिता। दूसरी सूरत यह कि विक्रमादित्य जिस तरह से शिमला रूरल में ऐक्टिव हैं, यहां से वह खुद चुनाव लड़ना चाहते हैं और शायद नहीं चाहते कि उनके पिता इस बार चुनाव मैदान में उतरें। मगर वीरभद्र ने अपने बयान में स्पष्ट कर दिया कि ऐसी कोई बंदिश नहीं है यानी वह और उनका बेटा दोनों चुनाव लड़ सकते हैं।

‘नई राजनीति की समझ रखते हैं विक्रमादित्य’
ऐसा भी हो सकता है कि परिवार में एक ही व्यक्ति के चुनाव लड़ने पर सहमति बन गई हो। मगर इन बयानों का असल मतलब क्या है, चुनाव आने पर ही साफ हो पाएगा। तब तक सिर्फ कयास लगाए जा सकते हैं। हालांकि राजनीतिक पंडितों का यह भी कहना है कि विक्रमादित्य युवाओं के सेंटिमेंट सी समझ ररखते हैं। वह जानते हैं कि अब जनता क्या चाहती है, जबकि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अभी भी चुनावी समय में पुराने ढर्रे पर घोषणाएं करके सत्ता की राह देख रहे हैं और अपने पुराने साथियों को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं विक्रमादित्य मौजूदा हालात की समझ रखते हुए युवाओं को आगे लाने के हिमायती हैं।

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