नूरपुर हादसा: अखबार के दावे पर पत्रकारों ने ही उठाए सवाल

शिमला।। नूरपुर स्कूल बस हादसे को लेकर बुधवार के दैनिक भास्कर पर छपी रिपोर्ट को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। स्थानीय पत्रकार और मीडिया के अन्य दिग्गज इस रिपोर्ट में किए गए दावों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े रहे हैं। बता दें कि अखबार ने दावा किया था कि सीएम के इंतजार में परिजनों को तीन घंटे तक शव नहीं दिए गए। यही नहीं, ऐसा भी कहा गया कि रात को सौंपे गए शवों को भी वापस मंगवाया गया।

चूंकि यह खबर सिर्फ दैनिक भास्कर में ही है, अन्य अखबारों में नहीं, ऐसे में ‘इन हिमाचल’ ने अन्य अखबारों के प्रतिनिधियों से बात की तो उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई घटना उनके संज्ञान में नहीं है। घटना को लेकर उनके पास जो जानकारियां हैं, वे अखबार में दी गई जानकारियों से मेल नहीं खातीं।

इस बीच सोशल मीडिया पर भी कुछ पत्रकारों ने इस रिपोर्ट के तकनीकी पहलुओं पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। जैसे कि अखबार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि पोस्टमॉर्टम का काम सुबह साढ़े सात बजे तक पूरा हो चुका था, जबकि पत्रकारों का कहना है कि रात को पोस्टमॉर्टम विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है ऐसे में यह काम सुबह शुरू हुआ था। यही नहीं, अखबार ने लिखा है कि रात को सौंपे गए शव वापस मंगवाए गए। इस दावे को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि ऐसा भला कौन करेगा।

सोशल मीडिया पर इस शीर्षक को सनसनीखेज बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि किन लोगों के शव वापस मंगवाए गए, उनका नाम लिखा जाना चाहिए था। ‘इन हिमाचल’ के पास जैसे कि प्रशासन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया आएगी, उसे यहां प्रकाशित किया जाएगा। पहले पढ़ें, पत्रकार क्या दावा कर रहे हैं सोशल मीडिया पर-

‘सुबह हुए पोस्टमॉर्टम’
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश ठाकुर ने फेसबुक पर लिखा है, “हमने भी अपने जितने भी सोर्स थे सब से पूछ कर हादसे के कवरेज की है लेकिन सब ने यह बताया की सारे पोस्टमोरट्म सुबह हुए है।” वह लिखते हैं, “भास्कर के अनुसार पोस्टमॉर्टम सुबह 7.36 पर समाप्त हो चुके थे जबकि दूसरे सब अखबार और लोग कहते है कि यह कार्य सुबह साढ़े सात बजे के करीब शुरू हुआ है और 10 बजे तक बच्चों के शव सौंपे गए। चालक के शव का पोस्ट्मॉर्टेम 11 बजे होने की बात कही जा रही है।”

‘किनके शव वापस मंगवाए गए?’
उन्होंने शव वापस मंगवाए जाने की खबर पर लिखा है कि जिनके शव वापस मंगवाए गए हैं, उनका नाम लिखा जाना चाहिए था। प्रकाश ठाकुर लिखते हैं, “जब सारे बच्चों के शव नूरपुर अस्पताल मे थे तो कौन से शव परिजनों को सोंप दिए गए थे। रात को तो कोई पोस्टमॉर्टम हुआ नहीं तो फिर कैसे शव परिजनों के घर मे पहुँच गए। अगर शव वापस बुलाये गए तो उन के नाम लिखे जाने चाहिए थे …जो लिखे नहीं गए है …. अब राम ही जाने की इस खबर को क्यों और कैसे लिखा गया है।”

वहीं सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले एक अन्य यूज़र एम. कश्यप लिखते हैं, “कौन ऐसे माता पिता होंगे जो शव वापस दे देंगे? कौन सा पोस्टमार्टम रात को हुआ? सात बजे से शुरू हुए पोस्टमार्टम साढ़े दस बजे तक तो चले ही हैं। मुख्यमंत्री ने फूलों के साथ बच्चों को भेजा तो क्या गुनाह किया?”

अखबार के दावों के संबंध में ‘इन हिमाचल’ को जैसे ही प्रशासन की तरफ से आधिकारिक जानकारी मिलेगी, उसे यहां  प्रकाशित किया जाएगा। बहरहाल, इस दर्दनाक घटना को लेकर हो रही पत्रकारिता पर भी सवाल उठने लगे हैं।

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