रोते हुए बोले गुड़िया के पिता- मेरी बेटी को गरीब होने की सजा मिली

प्रतीकात्मक तस्वीर

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, शिमला।। शिमला के बहुचर्चित कोटखाई गुड़िया रेप और हत्या के मामले को उठे आज एक साल पूरा हो गया है। आज ही के दिन ठीक एक साल पहले दांदी के जंगल में गुड़िया का शव मिला था। मगर एक साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कानून प्रक्रिया चल रही है और गुड़िया के परिजन इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं।

आज शिमला के रिज मैदान में गुड़िया के पिता ने मीडिया के सामने अपनी बात रखी और उन्होंने सीबीआई द्वारा अब तक की जांच पर असंतोष जताया। गौरतलब है कि पहले जहां इस मामले को गैंगरेप माना जा रहा था, मगर बाद में सीबीआई ने इसमें सिर्फ एक चरानी को पकड़ा है और उसे ही आरोपी बनाया है।

गुड़िया के पिता ने कहा कि गुड़िया को गरीब होने की सजा मिली है। उन्होंने कहा, “वह गरीब घर में पैदा हुई थी और पैसे के बल पर इस मामले को दबा दिया गया। यदि वह किसी विधायक की बेटी होती, तो पता नहीं आज क्या होता।”

रुंधे हुए गले से गुड़िया के पिता ने कहा कि पहले पुलिस ने इस मामले में लापरवाही बरती और अब सीबीआई की जांच भी गले नहीं उतर रही। उन्होंने कहा कि सीबीआई जिस आरोपी को इस मामले का सूत्रधार बता रही है, वह अकेला इस वारदात को अंजाम नहीं दे सकता था।

6 जुलाई 2017 को यहीं मिला था गुड़िया का शव

सीबीआई पर उठाए सवाल
गुड़िया के पिता ने पूछा कि पेशे से चरानी आरोपी अनिल 9 माह तक सीबीआई से कैसे बच सकता था और इससे भी बड़ी बात कि गुड़िया के लापता होने के बाद अढ़ाई दिन तक उसने शव को कहां छिपा कर रखा होगा। उन्होंने कहा कि आरोपी चरानी अनिल की गुड़िया के शव को ठिकाने लगाने में संलिप्तता हो सकती है, लेकिन वह यह मानने को तैयार नहीं हैं कि उसने बलात्कार किया होगा और अकेले पूरी वारदात को अंजाम दिया होगा।

सीबीआई जांच पर सवाल उठाते हुए गुड़िया के पिता ने आगे कहा कि जिस दिन गुड़िया गायब हुई उस दिन वह परिवार के सदस्यों सहित दांदी के जंगल में बेटी को तलाशने गए और वहां मौजूद चरानियों व खच्चर वालों से बात की। लेकिन उस दौरान नीलू चरानी वहां नहीं था। उन्होंने कहा कि गुडिया के शव में मिट्टी का एक कण तक नहीं लगा था। शव पूरी तरह से साफ सुथरा था तथा कपड़े साथ पड़े थे। दरिंदों ने शव में एक भी कपड़ा नहीं रखा था। उन्होंने यह भी सवाल किया कि गुड़िया की जुराबें और दो क्लिप गायब क्यों थे।

गुड़िया के पिता ने कहा कि इस मामले में न्याय मिलना चाहिए और इस मामले की दोबारा जांच होनी चाहिए। दरिंदों को किसी भी सूरत में फांसी से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए।

गुड़िया को इंसाफ दिलाने के लिए पूरे प्रदेश में प्रदर्शन हुए थे।

क्या है गुड़िया मामला
गौरतलब है कि 6 जुलाई 2017 को कोटखाई के जंगल में गुड़िया का शव निर्वस्त्र पाया गया था। दुष्कर्म के बाद गुड़िया को बड़ी बर्बरता से मौत के घाट उतार दिया गया था। गुड़िया दसवीं कक्षा की छात्रा थी और 4 जुलाई को रहस्यमयी हालात में गायब हो गई थी।

इस मामले की प्रारंभिक जांच हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने की और 12 जुलाई 2017 को छह लोगों को आरोपी बताकर गिरफ्तार कर लिया। 18 जुलाई की मध्यरात्रि एक कथित आरोपी सूरज की कोटखाई थाने के लाॅकअप में हत्या हो गई है। पुलिस पर साक्ष्य मिटाने के लिए सूरज की सुनियोजित हत्या करने का आरोप लगा। अगले दिन प्रदेश हाईकोर्ट ने गुड़िया व सूरज मामलों की जांच सीबीआई के सुपूर्द कर दी।

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सूरज लाॅकअप केस में सीबीआई ने 29 अगस्त 2017 को एसआईटी के प्रमुख व पुलिस के आईजी जहूर जैदी सहित 9 पुलिस वालों को गिरफतार किया। 16 नवंबर 2017 को शिमला के पुर्व एसपी डीडब्लयू नेगी गिरफतार हुए। दूसरी तरफ गुड़िया प्रकरण में सीबीआई ने करीब 9 माह की पडताल के बाद 13 अप्रैल 2018 को पेशे से चिरानी अनिल को शिमला जिले के कोटखाई से दबोच कर गुड़िया मामले को सुलझाने का दावा किया।

(यह एमबीएम न्यूज नेटवर्क की खबर है और सिंडिकेशन के तहत प्रकाशित की गई है)

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