3 अक्टूबर को एम्स का शिलान्यास करेंगे प्रधानमंत्री मोदी

शिमला।। हिमाचल प्रदेश में प्रस्तावित एम्स का शिलान्यास होने जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से जानकारी दी है कि प्रधानमंत्री 3 अक्टूबर को शिलान्यास करेंगे। नड्डा ने लिखा है कि यह देवभूमि के लिए सौगात है और यह पहाड़ी राज्यों के लिए वरदान साबित होगा। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री का आभार भी व्यक्त किया है।

 

इसके साथ ही कांग्रेस के उन आरोपों को को भी बल मिल गया है कि केंद्र सरकार जानबूझकर एम्स का शिलान्यास का काम लटका रही है ताकि उसका शिलान्यास चुनाव से ठीक पहले करके क्रेडिट लिया जा सके। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय तक जेपी नड्डा खुद कह रहे थे कि एम्स कहां खुलेगा, यह निश्चित नहीं हुआ है। प्रदेश सरकार एक साल से भी ज्यादा वक्त से कह रही थी कि जमीन दी जा चुकी है, मगर नड्डा इस मामले को लेकर शामोशी बरत रहे थे कि एम्स का शिलान्यास क्यों नहीं हो पा रहा।

 

इस संबंध ने इन हिमाचल ने प्रश्न उठाया था तो उसके बाद नड्डा ने कहा था कि इस मामले में कुछ टेक्निकैलिटी है, जिसमें मैं जाना नहीं चाहता। फिर उन्होंने इसी साल बयान दिया कि चार राज्यों ने एम्स के लिए जमीन नहीं दी है, जिनमें हिमाचल भी शामिल है। फिर नड्डा ने ठीक एक महीना पहले कहा कि अभी यही तय नहीं है कि एम्स कहां बनेगा(पढ़ें)। इस ढील को लेकर बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने केंद्रीय मंत्री और राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर सवाल भी उठाए थे (पढ़ें)। मगर एक महीने में ऐसा क्या हो गया कि सारी चीजें सही हो गईं और वह भी इलेक्शन से ठीक पहले।

भारत में इलेक्शन से ठीक पहले काम करने की आदत रही है राजनेताओं को। बड़े स्तर क्या, छोटे स्तर पर भी सा ही होता है। सड़कें चुनाव से पहले पक्की होती हैं, प्रॉजेक्टों या कार्यालयों उद्घाटन और लोकार्पण  चुनाव से ठीक पहले होते हैं ताकि जनता को याद रहे कि ये काम इस सरकार ने करवाया है। कहीं न कहीं एम्स भी इसी तरह की राजनीति की भेंट चढ़ा और शिलान्यास देर से हुआ।

 

ऐसे बड़े प्रॉजेक्टों में बजट का प्रावधान होने पर जो भी तकनीकी अड़चने हों, उन्हें तुरंत निपटाया जान चाहिए। क्योंकि इन्हें बनने में वैसे भी देर होती है। समय पर तो भारत में वैसे ही काम पूरे नहीं होते। इसलिए शिलान्यास पहले होता तो इसके उद्घाटन में भी जल्दी होती, जिसका फायदा जनता को होता। मगर नेताओं के लिए शायद राजनीति जरूरी है।

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